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बाड़मेर में बामसेफ का 26वां राजस्थान राज्य अधिवेशन सफलता के साथ संपन्न – राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन और सामाजिक न्याय पर हुआ व्यापक मंथन रिपब्लिक व्हॉइस ऑफ इंडिया (मानसी कुऱ्हाडे, जिल्हा प्रतिनिधी राजस्थान)

बाड़मेर, राजस्थान – बामसेफ (राष्ट्रीय मूलनिवासी संघ) का 26वां राजस्थान राज्य अधिवेशन महावीर टाउन हॉल, बाड़मेर में पूरे उत्साह और सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन आदरणीय योगी अभयनाथ चंचल (प्राग मठ, बाड़मेर) ने किया, वहीं मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. निर्मल देसाई (महाराणा प्रताप महाविद्यालय, चित्तौड़गढ़) उपस्थित रहे। अधिवेशन की अध्यक्षता बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय वामन मेश्राम साहब (नई दिल्ली) ने की।

इस अवसर पर राजस्थान के विभिन्न जिलों से बामसेफ, भारत मुक्ति मोर्चा, बहुजन मुक्ति पार्टी, आदिवासी परिषद, अति पिछड़ा वर्ग संघ, महिला मूलनिवासी संघ और अन्य सहयोगी संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी, बुद्धिजीवी, कर्मचारी, युवा, महिलाएं, वकील, बेरोजगार और छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में मौजूद थे। प्रमुख वक्ताओं में धर्मपाल सिंह, के. एल. पासी, विशाल राय, मोती बाबा फूले, संदीप सूर्याल, बी. एल. जाटोल, गीता बोस, शिव कुमार मौर्य, गजेंद्र द्रविड, भोमराज जनागल, फोजाराम भील, एडवोकेट मोतीराम मेनसा, हीरालाल बौद्ध, किशनलाल परमार, सिद्धार्थ देशभ्रलार, नरसाराम मेघवाल, मघाराम हाथला सहित अनेक गणमान्य लोग शामिल रहे।

वामन मेश्राम साहब ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि ओबीसी की जाति आधारित जनगणना घोषित करना, लेकिन 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना के आंकड़े न जारी करना, एक गंभीर और सोची-समझी राजनीति है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संगठन की विचारधारा से 100% सहमति के साथ कार्य करने की अपील की और बताया कि “चलो गांवों की ओर” अभियान का प्रभावी क्रियान्वयन राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन की अनिवार्य शर्त है|

उन्होंने यह भी कहा कि आम चुनावों में ईवीएम के दुरुपयोग द्वारा सत्ता पर कब्जा करना संविधान विरोधी है और इससे मुकाबले के लिए देशभर में सहयोगी संगठनों का नेटवर्क खड़ा करना जरूरी है।

कार्यक्रम का मंच संचालन स्वरूप पंवार (प्रदेश महासचिव, बामसेफ राजस्थान) ने किया। अंत में, प्रमोद जयपाल (जिला अध्यक्ष, बामसेफ बाड़मेर) ने सभी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं, आमजन और राजस्थान के कोने-कोने से आए अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

यह अधिवेशन न सिर्फ संगठनों के समन्वय और मजबूती का प्रतीक बना, बल्कि सामाजिक न्याय, लोकतंत्र की रक्षा और बहुजन हितों को केंद्र में रखकर आगामी संघर्षों की दिशा भी तय कर गया।

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